‏करो तो करो यार उर्दू ज़बाँ में

सहर महमूद कवितायें

करो तो करो यार उर्दू ज़बाँ में‏

मोहब्बत का इज़हार उर्दू ज़बाँ में


‏नहीं भूल सकता हलावत कभी वो

‏मिला हो जिसे प्यार उर्दू ज़बाँ में


‏नज़र डालिए तो ख़ज़ाने मिलेंगे

‏करोड़ों हैं शहकार उर्दू ज़बाँ में


‏किसी और ज़बाँ में मयस्सर नहीं हैं

‏ हैं जिस तर्ह अश’आर उर्दू ज़बाँ में


‏सहर हम से दीवाने नेपाल में भी

‏सजाते हैं दरबार उर्दू ज़बाँ में

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