मंगल ग्रह पर “आशा” मिशन भेजने वाला पहला मुस्लिम देश

शमसुल हक रुशाद

संयुक्त अरब अमीरात का इतिहासिक कदम
मंगल ग्रह पर “आशा” मिशन भेजने वाला पहला मुस्लिम देश बन गया


लेखक : एम वदूद साजिद
अनुवादक : शमसुल हक रुशाद


विषय थोड़ा खुश्क है, परंतु पेशकश शायद आपको अच्छी लगे। संयुक्त अरब अमीरात ने अंतरिक्ष विज्ञान के मैदान में बड़ी सफलता प्राप्त की है। जापान के तानिगा शिमा स्पेस सेंटर से इसने एक अनुसंधान मिशन मंगल ग्रह पर भेजा है। यह मिशन उसे ले जाने वाले रॉकेट से अलग भी हो गया है, और अब वह मंगल ग्रह की ओर प्रचलित है। नासा के अनुसार यूएई का यह मिशन अक्टूबर 2020 में पृथ्वी से तीन करोड़ 80 लाख 60000 मील की दूरी पर होगा। इस मिशन का नाम “अल्अम्ल” रखा गया है।

यूएई सरकार का कहना है कि यह मिशन अरब क्षेत्र के लिए शांति, आशा और गर्व का एक संदेश है। इससे युवाओं का मनोबल बढ़ेगा और अरबों के बीच पाए जाने वाले विभिन्न मतभेदों और संघर्ष को खत्म करने में सहायता मिलेगी।

यह मिशन फरवरी 2021 में मंगल ग्रह की परिक्रमा में प्रवेश करेगा… यह तारीख इसलिए महत्वपूर्ण है कि फरवरी 2021 में 17 अरब राज्यों के गठबंधन के 50 वर्ष पूरे हो जाएं गे। इस से स्पष्ट होता है कि संयुक्त अरब अमीरात ने एक ऐसी महान योजना बंदी के साथ मिशन मंगल ग्रह पर कार्य किया है और यह मिशन उसके लिए कितना महत्वपूर्ण। है स्पष्ट रहे कि खाड़ी के उन 7 देशों ने एकाञ होने के बाद ही महान विकास प्राप्त किया है।

इस मिशन का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि उसके द्वारा पूरे विश्व को मंगल ग्रह से संबंधित बहुत ही पर्यावरण जानकारी प्राप्त होगी। पूरे विश्व में जहां-जहां मंगल ग्रह पर अनुसंधान हो रहे हैं वहां उन जानकारी से अनुसंधान करनेवालों को सहायता मिलेगी।
इसके अतिरिक्त इस मिशन द्वारा अरब युवाओं को अवसर प्राप्त होंगे। इस समय संपूर्ण अरब विश्व के युवाओं में एक ओर शिक्षा का प्रचार हुआ है तो उनकी उम्मीदें बढ़ गई हैं।

यहां यह बिंदु रोमांचक है इस समय अरब विश्व में युवाओं की संख्या बढ़ रही है।100 मिलियन की अरब जनसंख्या में 32% युवा हैं। वह अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप के दूसरे देशों से विज्ञान की शिक्षा प्राप्त कर के आरहे हैं।
एक अनुसंधान यह बताता है कि वह मुसलमानों के अविष्कार और इतिहास का भी अध्यन कर रहे हैं।
ऐसे में यूएई ने स्पेस के क्षेत्र में आगे बढ़ कर युवाओं की उम्मीदें और जुनून की प्रेरणा लगा दी है।

अरब युवाओं में कार्य करने और परिश्रम करने का जुनून भी जागा है। तो अब उनकी जगह बनाने के लिए वहां विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने हेतु दूसरे देशों के लोगों की नौकरियां कम की जा रही हैं। कुवैत ने तो इसकी शुरुआत भी कर दी है। हालांकि इसके और भी कई कारण हैं परंतु सबसे बड़ा कारण यही है कि युवाओं की जनसंख्या और उनको कार्य देना है। विश्व स्तर पर अर्थशास्त्र में जो आपत्ति आई है उसकी किरण में अब अरबों को कठोर परिश्रम करना होगा। आसानी से अब कार्य नहीं हो पाएगा।

मंगल ग्रह पर जाने वाला ये मिशन अनेक रूप से अद्वितीय है। उदाहरण के लिए इस पर अपेक्षाकृत कम खर्च आया है। इसमें केवल 200 मिलीयन डॉलर खर्च हुआ है। इसि प्रकार इस मिशन पर स्वयं यूएई के अपने इंजीनियरों ने कार्य किया है। इस मिशन की डोर भी युवाओं के हाथों में है। इस मिशन की परियोजन मैनेजर इमरानुश्रफ की आयु केवल 36 वर्ष है। उनका जन्म 1984 में हुआ। उनकी वैज्ञानिक भाषण सुनने और उनकी स्पष्टता को देख कर पता चलता है कि वह मंगल ग्रह पर मानव बस्ती बसाने का सपना देखने के बावजूद अपनी पहचान और अपनी जड़ों से संबंधित रहना चाहते हैं।

यह मिशन अब तक के अन्य मिशंस की तरह लाल ग्रह (red planet) पर उतरे गा ही नहीं बल्कि 687 दिनों तक उसकी कक्षा में घूमता रहेगा। स्पष्ट रहे कि मंगल ग्रह का 1 वर्ष 687 दिनों का होता है। अर्थात वह सूर्य का एक चक्कर 687 दिनों में पूर्ण करता है। अन्य ग्रहों के प्रतिस्पर्धा मंगल ग्रह पृथ्वी से सबसे निकट है। यूएई का सबसे बड़ा सपना अगले 100 वर्षों के भीतर मंगल पर मानव बस्ती बसाने का है। अब 100 वर्ष तो किसी ने नहीं देखा परंतु यूएई ने कई दर्जनों प्रथाएं की सेवाएं प्राप्त की हैं जो दुबई देश में एक ऐसा शहर बना कर देंगे कि अगर आज मंगल ग्रह पर कोई शहर बसाया जाए तो ऐसा ही लगे। इस पर 135 मिलियन डॉलर खर्च होंगे। इतने बड़े प्रोजेक्ट में हजारों युवाओं को कार्य मिलेगा। बेशक इसमें भारतीय कारीगरों को भी लाभ होगा।

यह बिंदु भी महत्वपूर्ण है कि 1960 से अब तक ऐसे कई दर्जनों प्रक्षेपण किए गए, जिनमें अमेरिका ने सबसे अधिक मिशन भेजे, परंतु कोई भी मिशन इतनी दूर तक नहीं पहुंच सका। इमरानुश्रफ कहते हैं कि इस मिशन से संपूर्ण विश्व के वैज्ञानिक समुदाय को मंगल ग्रह से संबंधित परिदृश्य मिलेगा। यह मिशन 2021 में खबरों को भेजना प्रारंभ भी कर देगा। यह यूएई का पहला कारनामा नहीं है। पृथ्वी की परिक्रमा में इसके 9 उपग्रह(satellite) पहले से सक्रिय हैं और 8 अधिक भेजने की तैयारी है।

इस समय 50 से अधिक मुस्लिम देशों में 22 अरब देश हैं। इनमें सात देश खाड़िय देश कहलाते हैं जिनमें बहरैन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात सबसे धनी देश हैं। इराक भी खाड़ीय देश है परंतु वह इस समय गंभीर संकट में है। इस समय तो ऐसे भी कोरोनावायरस के कारण संपूर्ण विश्व आर्थिक संकट से पीड़ित है। ऐसे में अगर यूएई अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है तो यह बहुत बड़ी बात। है यह कहना अभी सही नहीं होगा कि विज्ञान के क्षेत्र में मुस्लिम विश्व की अविष्कार पुनर्जीवन की खोज हो रही है परंतु यूएई के कार्य को उसकी दिशा में बढ़ने वाला एक कदम निश्चित रूप से दिया जा सकता है।

यहां यह कहना भी जरूरी है कि यूएई के अतिरिक्त कई अरब देश देश के संसाधनों से धनी हैं परंतु उन्होंने अभी तक विज्ञान के क्षेत्र में कोई बड़ा कदम नहीं उठाया है। सऊदी अरब, कुवैत और कतर इस मामले में कई बड़ी योजनाएं बना सकते हैं। इससे स्वयं उनके युवाओं को कार्य और एक नई दिशा मिलेगी। युवाओं को उनके परयोगिक ज्ञान और दृष्टि(vision) विश्वास से कार्य पर लगाना आवश्यक है।

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Hammadul haque
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Hammadul haque

Very good