निवेदन

अबुल मीज़ान कमान क़लमदल

जितना आवश्यक अपने लोगों की भाषा में बात करना होता है उतना ही ज़रूरी किसी कार्य हेतु उनकी लिपी में उन्हें कुछ लिखना भी होता है। अपने कई लेखों में हम अपने पूरे हिंदुस्तानी भाई-बहनों को संबोधित करते हैैं परंतु उर्दू लिपी में होने के कारण हमारा संबोधन सब नहीं समझ पाते।

इस समस्या का एक ही समाधान है, देवनागरी लिपि का प्रयोग। और खुशखबरी यह है कि फ्रीलांसर का हिंदी वर्ज़न निर्माणधीन है।

जो हिंदी में अपनी बात कह सकते हैं ऐसे लेखकों से हमारा अनुरोध है कि इस पावन विषय में फ्रीलांसर का सहयोग करें। जो केवल अनुवाद कर सकते हैं उनसे भी हम निवेदन करते हैं कि हमारे पोर्टल पर उपलब्ध उर्दू लेखों को ही हिंदी रूपांतरण कर हमारे “क़लमदल” का हिस्सा बनें।

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